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Monday, March 28, 2011

16.मुस्कुराने कि क्या जरुरत थी


जान ही लेनी थी तो कह दिया होता,
मुस्कुराने कि क्या जरुरत थी
दिन बीत गए रातें कट गयीं
तेरे इंतज़ार में रातें गुजार गयीं
क्या ये मेरा प्यार है,या मेरी गुस्ताखी
या तेरी बेवफाई है या फिर कोई मजबूरी

चमको सितारों कि तरह ये दुआ है हमारी
फ़रिश्ता नहीं इंसान हूँ आखिर मुमकिन है गुस्ताखी
मेरे किसी बात का हरगिज़ बूरा ना मानना ऐ मेरे दोस्त
अगर मुमकिन हुआ तो ज़िन्दगी के किसी मोड़ पर फिर मिलेंगे
धन्यवाद तुझे इस मिलन का ,अभी अलविदा मेरे दोस्त 

तेरे दिल में प्यार कि बुनियाद रखेंगे
खुदको कैद और तुझे आज़ाद रखेंगे
कभी हो ना जाए गुस्ताखी फिर से
इसलिए अपने कदम आपके बाद रखेंगे

गुस्ताखी ये है हमारी हर किसी से रिश्ता जोड़ लेते हैं
लोग कहते हैं मेरा दिल पत्थर का है मगर ऐ दोस्त
कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे भी रिश्ता तोड़ लेते हैं

हमारे खून में रब  ने यही तस्वीर रखी है
बुरे भूल जाते हैं अच्छाई याद रखते हैं
मोहब्बत में कहीं हमसे गुस्ताखी ना हो जाए
हम अपना हर कदम आपके बाद ही रखते हैं

अपनी मोहब्बत का दिखावा हम सरे बाज़ार नहीं करते
उसपे वो कहते हैं कि हम प्यार नहीं करते
खबर नहीं है उन्हें मोहब्बत तो आँखों और दिलों कि बाते हैं
इसीलिए गुस्ताखी हम उनसे ये बार बार नहीं करते

चलो " --------"मोहब्बत कि नयी बुनियाद रखते हैं
खुद पाबंद रहते रहते हैं उन्हें आज़ाद रखते हैं
हमारे खून में रब ने यही तस्वीर रखी है
बुरे भूल जाते हैं अच्छाई याद रखते हैं
मोहब्बत में कहीं हमसे गुस्ताखी हो ना जाए
हम अपना हर कदम उनके कदम के बाद रखते हैं 

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