ढूंढ़ रहा था मै अकेले
१ हसीं पल और १ लम्हा
मै अकेला वो अकेले
दोनों हुए तन्हा तन्हा
यादों में उसके अक्सर
कुछ लकीर सि सन आती है
कितनी भी हो आड़ी तिरछी
तस्वीर उसकी बन जाती है
उन तस्वीरों को देखकर
आँखों में आंसू आते उभर
रात काटने कि बात छोड़ो
मुस्किल हुआ दिन दोपहर
हर वक़्त खुद को कोसना
फिर खुद को समझाना
सब माया है बोलके
चेहरे पर ख़ुशी लाना
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