POEMS FROM BJ
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Sunday, March 27, 2011
13.१ हसीं सि गुस्ताखी
फिर दिल ने कहा
दिल लगाओ किसी से
मैंने दिल को समझाया
प्यार किया किसी १ से
दिल तो भोला है नादान भी
दुनिया से अनजान भी
लाख चोट खाए है इसने फिर भी
गलतियों से कुछ ना सीखी
खामख्वाह कर बैठा ये
१ हसीं सि गुस्ताखी
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