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Sunday, March 27, 2011

8.ज़िन्दगी में



ख़ुशी ही ख़ुशी है यहाँ ज़िन्दगी में
ग़मों कि जगह है कहाँ ज़िन्दगी में
कटेगा ये मुस्किल सफ़र मुस्कुराकर
मिले सच्चा साथी जहाँ ज़िन्दगी में

हुए कब हैं पुरे अरमान किसी के
मिला किसको सब है यहाँ ज़िन्दगी में
घर से बहार खुला आसमान है
जरा झांक के आओ वहां ज़िन्दगी में

ना जाने हैं कितने शक्लें यहाँ पर
मुखोटों के पीछे यहाँ ज़िन्दगी में
तजुर्बा नया सिखाता है जो लम्हां
रहता किसे याद ये ज़िन्दगी में

छलों यारों हम भी समझ लें इन्हें
ये जो दो चार पल हैं यहाँ ज़िन्दगी में.

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