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Wednesday, March 23, 2011

4.मौत खुशनशीबी होती है


ज़िन्दगी भर कोई मेरे पास न बैठा
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे
               कोई तोहफा न मिला आज तक
               आज फूलों के हर दिए जा रहे थे 
तरस गए किसी के हाथ से दिए १ कपडे को
 आज नए नए कपडे दिए जा रहे थे
               दो कदम भी साथ चलने को तैयार न था कोई 
               और आज काफिला बनाकर साथ ले जा रहे थे 
लोग कहते थे मुझे छुने से गंदे हो जाएँगे वो 
आज चन्दन के लेप लगाये जा रहे थे
              बच्चो ने जिसने हरपल मुझे रुलाया
              आज मेरे लिए रोये जा रहे थे
रोया करता था अपनी बुराइयों को सुनकर
आज मेरे अच्छाइयों पर गौर वो फरमा रहे थे 
               आज पता चला मौत खुशनशीबी होती है
                हम तो यूँही जिए जा रहे थे 

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