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Sunday, March 27, 2011

14.मंजिल तक वो जाता है


ज़िन्दगी के सफ़र में
आते हैं इम्तिहान कई
इसका ये मतलब नहीं कि
थक जाए इतने में कोई 

हर परेशानिया जो रह में आती है
नए परेशानी का सामना करना शिख्लाती है
जूझना ही होता है हमें
तभी मंजिल करीब आती है

साथ चलने वाले कभी
आगे निकल जाते हैं हमसे
इसका मतलब ये नहीं
डर जाएँ हम कभी किसीसे

ये पीछे परना भी हमें 
बहुत कुछ सिखलाता है
आशा(माँ) का दमन जो ना छोड़े कभी
मंजिल तक वो जाता है

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