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Saturday, April 16, 2011

19.रोना आता है सिर्फ अपने ऊपर


हमने क्या कि थी खता
ऐ खुदा अब ये बता
क्यूँ किया उनसे दूर 
क्यूँ किया हमें मजबूर

हंस ना पाते हैं  १ पल
पता नहीं अब होगा क्या कल
अब तन्हा हुए इस सफ़र में
तलाश है १ हमसफ़र कि हमें

कुछ गलतियाँ कि थी मैंने
कुछ में थी मेरी नादानी
डरता हूँ अब अपने कल से
मिली मुझे सिर्फ बदनामी

लौटा दो मेरे उस दिन को फिर से
ये १ विनती है अब तुमसे
सर्मिन्दा हूँ बहुत जो कुछ भी मैंने किया
उन हसीं पल का तुझे शुक्रिया

अब और इम्तिहान मत लेना
फिर किसी को ये गम ना देना
मुशिकिल बहुत होती है इनमे
परीस्थी मै हूँ जिनमे

कभी कभी होता हूँ निराश
जब कभी ना पाऊं उसे अपने पास
उन प्यार भरे लम्हों का एहसास
मेरे दिल कि थी वो प्यास

अब और ना लिख सकता हूँ इनपर
भरोसा किया इतना ज्यादा जिनपर
तोड़ के दिल वो चले गए
रोना आता है सिर्फ अपने ऊपर

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