अपने गम को सिने में दफ़न करके
मुस्कुराये जाता हूँ मैं
तनहाइयों में खुद से बातें करके
खुद को बहलाए जाता हूँ मैं
अपने रिसते जख्मों पे
खुद ही मलहम लगाये जाता हूँ मैं
कितनी मुदतो से अपने आंसुओं को
हंसी में छुपाये जाता हूँ मैं
भले ही टूटे मेरा दिल
तुमसे प्यार आज भी है
तेरे लिए मेरे दिल में
वो बहार आज भी है
जिस राह चल दिए तुम मेरा साथ छोड़ कर
उसी राह में तेरे आशिकी कि
मज़ार आज भी है
अचानक मोहब्बत कर बैठे हम
क्या पाता था अंधेरो में कही खो जायेंगे
भुला बैठे थे अपनों को ही हम
क्या पाता था आखिर लौट कर उनके पास ही आयेंगे
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