वो प्यार था या गलती
जिसका ना था मुझे एहसास
सागर क था बिलकुल करीब
पर थी १ बूंद कि प्यास
पाने को जिसके खातिर
मैंने जीना सुरु किया
कुछ अंतरालों में
मुझसे खुद को दूर किया
जिसकी उम्मीद लगा रखी थी मैंने
उसने ही मुझे अकेला छोड़ा
अरमानो के सपने दिखा कर
उसने झट से नाता तोडा
जब से है वो मुझसे रूठी
प्यार १ बकवास है
बात सारी उसकी झूठी
उम्मीद में उसके आज भी मैं
सैकड़ों दिए जलाये बैठा हूँ
आस नहीं उसके आने कि
पर क्या करूँ???
१ पत्थर से दिल लगाये बैठा हूँ
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