कहीं पर X कहीं पर Y
कलम चले न ,रुके रे भाय
a का वर्ग और b का घन
पढने में लगा दो तन और मन
कुछ ज्ञात करना है तो मानो X
हल करने का नहीं कुछ टैक्स
कहीं कुछ ज्यादा कहीं कुछ कम
गणित बने जब मूड हो नरम
अज्ञात को a to z मान लेना
बदले में कुछ कभी न लेना
a,b,c,d.............x,y,z
बीजगणित के चक्के हैं
26 पहियों की ये गाड़ी
चले बिना न धक्के है
No comments:
Post a Comment